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इंसान हूँ मैं ....

इंसान हूँ मैं लेकिन  फिर भी क्यों निर्मम बन जाता हूँ,  नफ़रत के सागर में  न जाने कितने गोते लगाता हूँ। ममता ,विवेक ,दया और प्रेम  ...

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